Episodios

  • Zooming | Ashfaq Hussain
    May 22 2025

    ज़ूमिंग |अशफ़ाक़ हुसैन


    देखूँ जो आसमाँ से तो इतनी बड़ी ज़मीं

    इतनी बड़ी ज़मीन पे छोटा सा एक शहर

    छोटे से एक शहर में सड़कों का एक जाल

    सड़कों के जाल में छुपी वीरान सी गली

    वीराँ गली के मोड़ पे तन्हा सा इक शजर

    तन्हा शजर के साए में छोटा सा इक मकान


    छोटे से इक मकान में कच्ची ज़मीं का सहन

    कच्ची ज़मीं के सहन में खिलता हुआ गुलाब


    खिलते हुए गुलाब में महका हुआ बदन

    महके हुए बदन में समुंदर सा एक दिल

    उस दिल की वुसअ'तों में कहीं खो गया हूँ मैं

    यूँ है कि इस ज़मीं से बड़ा हो गया हूँ मैं


    सहन: आँगन,

    शजर: पेड़, वृक्ष

    वुसअ'तों: विस्तार

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    2 m
  • Pagli Arzoo | Nasira Sharma
    May 21 2025

    पगली आरज़ू | नासिरा शर्मा

    कहा था मैंने तुमसे
    उस गुलाबी जाड़े की शुरुआत में
    उड़ना चाहती हूँ मैं तुम्हारे साथ
    खुले आसमान में
    चिड़ियाँ उड़ती हैं जैसे अपने जोड़ों के संग
    नापतीं हैं आसमान की लम्बाई और चौड़ाई
    नज़ारा करती हैं धरती का, झांकती हैं घरों में
    पार करती हैं पहाड़, जंगल और नदियाँ
    फिर उतरती हैं ज़मीन पर, चुगती हैं दाना
    सुस्ताती किसी पेड़ की शाख़ पर
    अलापतीं हैं कोई गीत प्रेम का
    जब उमड़ता है प्यार तो गुदगुदाती हैं
    अपनी चोंच से एक दूसरे को
    उसी तरह मैं प्यार करना चाहती हूँ तुम्हें
    लब से लब मिला कर, हथेली पर हथेली रखकर
    जैसे वह सटकर बैठते हैं अपने घोंसले में
    वैसे ही रात को सोना चाहती हूँ तुम से लिपट कर
    आँखों में नीले आसमान के सपने भर
    इस खुरदुरी दुनिया को सलामत बनाने के लिए।

    मैं उड़ना चाहती हूँ तुम्हारे संग ऊँचाइयों पर
    जहाँ मुलाक़ात कर सकूँ सूरज से
    उस डूबते सूरज को पंखों में छुपा लाऊँ
    लौटते हुए उगे चाँद के चेहरे को चूम कर
    चुग लाऊँ कुछ तारे चोरी-चोरी
    फिर उन्हें सजा दूँ धरती के अंधेरे कोनों में।

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    3 m
  • Hanso Ek Bachhe Ki Tarah | Amita Prajapati
    May 20 2025

    हँसो एक बच्चे की तरह | अमिता प्रजापति

    तुम प्यार को पृथ्वी
    मान कर
    मत घूमो हर्क्यूलिस की तरह
    मत झुकाओ इसके वज़न से
    अपनी गर्दन
    धीरे से सरका के इसे
    गिरा लो अपने पैरों में
    उछालो गेंद की तरह
    हँसो एक बच्चे की तरह...

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    1 m
  • Dhaar | Arun Kamal
    May 19 2025

    धार | अरुण कमल


    कौन बचा है जिसके आगे

    इन हाथों को नहीं पसारा


    यह अनाज जो बदल रक्त में

    टहल रहा है तन के कोने-कोने


    यह क़मीज़ जो ढाल बनी है

    बारिश सर्दी लू में


    सब उधार का, माँगा-चाहा

    नमक-तेल, हींग-हल्दी तक


    सब क़र्ज़े का

    यह शरीर भी उनका बंधक


    अपना क्या है इस जीवन में

    सब तो लिया उधार


    सारा लोहा उन लोगों का

    अपनी केवल धार

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    2 m
  • Us Plumber Ka Naam Kya Hai | Rajesh Joshi
    May 18 2025

    उस प्लम्बर का नाम क्या है | राजेश जोशी


    मैं दुनिया के कई तानाशाहों की जीवनियाँ पढ़ चुका हूँ

    कई खूँखार हत्यारों के बारे में भी जानता हूँ बहुत कुछ

    घोटालों और यौन प्रकरणों में चर्चित हुए

    कई उच्च अधिकारियों के बारे में तो बता सकता हूँ

    ढेर सारी अंतरंग बातें

    और निहायत ही नाकारा क़िस्म के राजनीतिज्ञों के बारे में

    घंटे भर तक बोल सकता हूँ धारा प्रवाह

    लेकिन घंटे भर से कोशिश कर रहा हूँ

    पर याद नहीं आ रहा है इस वक़्त उस प्लम्बर का नाम

    जो कई बार आ चुका है हमारी पाइप लाइन में

    अक्सर हो जाने वाली गड़बड़ी को ठीक करने

    वो कहाँ रहता है, कहाँ है उसके मिलने का ठीहा

    कुछ भी याद नहीं

    उसके परिवार के बारे में तो ख़ैेर..

    हैरत है ! मैं बुरे लोगों के बारे में कितना कुछ जानता हूँ

    और उनसे भी ज़्यादा बुरों के बारे में, तो कुछ और ज़्यादा

    जबकि पाइप लाइन में आई किसी गड़बड़ी को

    किसी तानाशाह ने कभी ठीक किया हो

    इसका ज़िक्र उसकी जीवनी में नहीं मिलता

    ऐसे वक्त में हमेशा स्त्रियाँ ही मदद कर सकती हैं

    यह थोड़ा अजीब ज़रूर लगेगा लेकिन यही सच है

    कि स्त्रियाँ ही उन लोगों के बारे में सबसे ज़्यादा जानती हैं

    जो आड़े वक़्त में काम आते हैं

    जो जीवन की छोटी छोटी गड़बड़ियों को

    दुरुस्त करने का हुनर जानते हैं

    पत्नी जानती थी कि चार दिन पहले

    जमादारिन के यहाँ बच्चा हुआ है

    वो उसके बच्चे के लिए हमारी बेटी के छुटपन के कपड़े

    निकाल रही थी उस वक़्त

    जब थक हार कर मैंने उसे आवाज़ लगाई

    सुनो...उस प्लम्बर का नाम क्या है ?


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    3 m
  • Rang Is Mausam Mein Bharna Chahiye | Anjum Rehbar
    May 17 2025

    रंग इस मौसम में भरना चाहिए | अंजुम रहबर

    रंग इस मौसम में भरना चाहिए
    सोचती हूँ प्यार करना चाहिए

    ज़िंदगी को ज़िंदगी के वास्ते
    रोज़ जीना रोज़ मरना चाहिए

    दोस्ती से तज्रबा ये हो गया
    दुश्मनों से प्यार करना चाहिए

    प्यार का इक़रार दिल में हो मगर
    कोई पूछे तो मुकरना चाहिए

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    2 m
  • Kavi Ka Ghar | Ramdarash Mishra
    May 16 2025

    कवि का घर | रामदरश मिश्र


    गेन्दे के बड़े-बड़े जीवन्त फूल

    बेरहमी से होड़ लिए गए

    और बाज़ार में आकर बिकने लगे


    बाज़ार से ख़रीदे जाकर वे

    पत्थर के चरणों पर चढ़ा दिए गए

    फिर फेंक दिए गए कूड़े की तरह


    मैं दर्द से भर आया

    और उनकी पंखुड़ियाँ रोप दीं

    अपनी आँगन-वाटिका की मिट्टी में

    अब वे लाल-लाल, पीले-पीले, बड़े-बड़े फूल बनकर

    दहक रहे हैं


    मैं उनके बीच बैठकर उनसे सम्वाद करता हूँ

    वे अपनी सुगन्ध और रंगों की भाषा में

    मुझे वसन्त का गीत सुनाते हैं

    और मैं उनसे कहता हूँ -

    जियो मित्रो !

    पूरा जीवन जियो उल्लास के साथ

    अब न यहाँ बाज़ार आएगा

    और न पत्थर के देवता पर तुम्हें चढ़ाने के लिए धर्म

    यह कवि का घर है !

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    2 m
  • Tumne Mujhe | Shamsher Bahadur Singh
    May 15 2025

    तुमने मुझे | शमशेर बहादुर सिंह


    तुमने मुझे और गूँगा बना दिया

    एक ही सुनहरी आभा-सी

    सब चीज़ों पर छा गई

    मै और भी अकेला हो गया

    तुम्हारे साथ गहरे उतरने के बाद

    मैं एक ग़ार से निकला

    अकेला, खोया हुआ और गूँगा

    अपनी भाषा तो भूल ही गया जैसे

    चारों तरफ़ की भाषा ऐसी हो गई

    जैसे पेड़-पौधों की होती है

    नदियों में लहरों की होती है

    हज़रत आदम के यौवन का बचपना

    हज़रत हौवा की युवा मासूमियत

    कैसी भी! कैसी भी!

    ऐसा लगता है जैसे

    तुम चारों तरफ़ से मुझसे लिपटी हुई हो

    मैं तुम्हारे व्यक्तित्व के मुख में

    आनंद का स्थायी ग्रास... हूँ

    मूक।


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    2 m
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