• Shri Bhagavad Gita Chapter 18 | श्री भगवद गीता अध्याय 18 | श्लोक 33

  • Nov 23 2024
  • Length: 1 min
  • Podcast

Shri Bhagavad Gita Chapter 18 | श्री भगवद गीता अध्याय 18 | श्लोक 33

  • Summary

  • श्री भगवद गीता के अध्याय 18, श्लोक 33 में सात्त्विक धृति का वर्णन किया गया है। भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को बताते हैं कि जो धृति (दृढ़ता) योग और अनुशासन के माध्यम से मन, प्राण, और इंद्रियों की गतिविधियों को स्थिर और अविचलित बनाए रखती है, उसे सात्त्विकी धृति कहा जाता है। यह धृति व्यक्ति को आत्मज्ञान और परम शांति के मार्ग पर अग्रसर करती है। इस श्लोक के माध्यम से जानें सात्त्विक धृति के महत्व और गुण। #भगवदगीता #गीता_श्लोक #सात्त्विकीधृति #मन_संयम #योग #कृष्णउपदेश #आध्यात्मिक_ज्ञान #गीता_ज्ञान #जीवन_मार्गदर्शन



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