• Shri Bhagavad Gita Chapter 18 | श्री भगवद गीता अध्याय 18

  • By: Yatrigan kripya dhyan de!
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Shri Bhagavad Gita Chapter 18 | श्री भगवद गीता अध्याय 18

By: Yatrigan kripya dhyan de!
  • Summary

  • "Welcome to Shri Bhagavad Gita: Chapter 18 Shlokas, where we explore the timeless wisdom of श्रीकृष्ण as revealed in the 18th chapter of the Bhagavad Gita. Chapter 18, also known as Moksha Sannyasa Yoga (मोक्ष संन्यास योग), is one of the most profound chapters, discussing the paths of renunciation (संन्यास) and duty (कर्मयोग). Each episode delves into the shlokas of this chapter, offering a detailed explanation of the original Sanskrit text followed by a meaningful Hindi translation. We explore Lord Krishna’s teachings on how to live a life of selfless action, detachment from the fruits of wo
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  • Shri Bhagavad Gita Chapter 18 | श्री भगवद गीता अध्याय 18 | श्लोक 39
    Nov 23 2024

    श्री भगवद गीता के अध्याय 18, श्लोक 39 में भगवान श्रीकृष्ण तामस सुख का वर्णन करते हैं। यह सुख आरंभ और परिणाम दोनों में आत्मा को मोह में डालने वाला होता है। यह आलस्य, प्रमाद और अज्ञान से उत्पन्न होता है और व्यक्ति को निष्क्रिय और भ्रमित करता है। जानें तामस सुख के प्रभाव और इससे बचने के उपाय।

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  • Shri Bhagavad Gita Chapter 18 | श्री भगवद गीता अध्याय 18 | श्लोक 38
    Nov 23 2024

    श्री भगवद गीता के अध्याय 18, श्लोक 38 में भगवान श्रीकृष्ण राजस सुख का वर्णन करते हैं। यह सुख इंद्रियों और विषयों के संयोग से उत्पन्न होता है, जो प्रारंभ में अमृत जैसा प्रतीत होता है, लेकिन अंततः विष समान कष्टदायक हो जाता है। इस श्लोक में बताया गया है कि ऐसा सुख क्षणिक और अस्थायी होता है। जानें राजस सुख की वास्तविकता और इसके प्रभाव।

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  • Shri Bhagavad Gita Chapter 18 | श्री भगवद गीता अध्याय 18 | श्लोक 37
    Nov 23 2024

    श्री भगवद गीता के अध्याय 18, श्लोक 37 में भगवान श्रीकृष्ण सात्त्विक सुख का वर्णन करते हैं। यह सुख प्रारंभ में कठिनाई भरा होता है, जैसे विष, लेकिन परिणामस्वरूप अमृत के समान मधुर होता है। यह सुख आत्मा और बुद्धि की प्रसन्नता से उत्पन्न होता है। इस श्लोक के माध्यम से जानें, सच्चे और स्थायी सुख की पहचान।

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