• Manch Se | Vaibhav Sharma

  • Feb 18 2025
  • Length: 3 mins
  • Podcast

Manch Se | Vaibhav Sharma

  • Summary

  • मंच से | वैभव शर्मा

    मंच के एक कोने से शोर उठता है और रोशनी भी
    सामने बैठी जनता डर से भर जाती है।
    मंच से बताया जाता है शांती के पहले जरूरी है क्रांति
    तो सामने बैठी जनता जोश से भर जाती है।
    शोर और रोशनी की ओर बढ़ती है।
    डरी हुई जनता
    खड़े होते हैं हाथ और लाठियां
    खड़ी होती है डरी हुई भयावह जनता
    डरी हुई भीड़ बड़ी भयानक होती है।
    डरे हुए लोग अपना डर मिटाने हेतु
    काट सकते हैं अपने ही अंग
    डर मिटाने के लिए अंग काटने का चलन आया है।
    मंच के दूसरे कोने से अटृहास
    खून की बौछार
    शोर खूंखार, भयावह आकृतियां अपार
    जनता डरी और सहमी, खड़ी हाथ में लिए
    तीखे नुकीले कटीले हथियार
    डरी हुई जनता, अंगो को काटकर
    डर को छांट छांट कर अलग करती
    फिर भी डरा करती, निरन्तर
    डरी हुई जनता, मंच के नीचे से
    ऊपर वालों को तकती
    पर उनके पास ना दिखे उसको कोई हथियार
    मंच पे दिखे, सुशील मुखी, सुन्दर, चरित्रवान
    एवं मोहक कलाकार
    डरी सहमी, खून से लथपथ जनता
    देखती शोर और अट्हास के बीच
    समूचे निगले जाते अपने अंग हज़ार।

    Show more Show less

What listeners say about Manch Se | Vaibhav Sharma

Average customer ratings

Reviews - Please select the tabs below to change the source of reviews.