• इसे तुम कविता नहीं कह सकते (#poetry)

  • By: Lokesh Gulyani
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इसे तुम कविता नहीं कह सकते (#poetry)

By: Lokesh Gulyani
  • Summary

  • Spoken word poetry in Hindi by Lokesh Gulyani
    Copyright Lokesh Gulyani
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Episodes
  • Episode 32 - लम्बी उड़ान
    Feb 19 2025
    मुझे क्या कभी मौका मिलेगा कि मैं अपने हाथ फैला कर नीचे वादियों में कूद जाऊं और मुझे अंजाम की चिंता न हो। नीचे सूरजमुखी के फूलों से भरा मैदान हो, फूल मुझे देखते हुए मुस्कुरा रहे हों। बाहें फैला कर खड़े हों। और मैं उनके ऊपर से उड़ता चला जा रहा हूं, एक बड़ी चील की मानिंद।
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    4 mins
  • Episode 31 - नौकर कहीं का
    Feb 13 2025
    मैं समय ख़राब करता हूं, पूरे अधिकार से। मुझे लगता है कि किसी ने मेरा समय ख़रीद कर मुझे ही पकड़ा दिया है, नौकरी की शक्ल में। मालिक बार बार यकीं दिलाता है कि उसने सिर्फ़ समय खरीदा है मुझे नहीं। मैं भी खुद को यह दिलासा देता हूं कि सिर्फ़ समय बिका है, मैं नहीं।
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    4 mins
  • Episode 30 - सायास अनायास
    Jan 28 2025
    हम साथ बैठ कर देखी हुई फ़िल्म दुबारा देखते हैं। तुम्हें ठीक-ठीक पता है कि अगले कुछ क्षणों बाद प्रेमी, प्रेमिका का चुम्बन लेगा। तुम अपना हाथ, मेरे हाथ पर रखने का सायास प्रयास, अनायास करती हो। मैं पॉपकॉर्न निकालने के लिए अपनी हथेली को अनायास तुम्हारी हथेली से सायास बाहर को सरकाता हूँ। हम दोनों चौंकने का नाटक करते हैं, फ़िल्म चलती रहती है।
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    5 mins

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