• इसे तुम कविता नहीं कह सकते

  • By: Lokesh Gulyani
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इसे तुम कविता नहीं कह सकते

By: Lokesh Gulyani
  • Summary

  • Spoken word poetry in Hindi by Lokesh Gulyani
    Copyright Lokesh Gulyani
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Episodes
  • Episode 14 - बत्ती बुझाने से पहले, बत्ती बुझने के बाद
    Oct 27 2024
    बत्ती बुझाने से पहले एक बार देख लेना चाहिए। लोग कमरों में हैं या नहीं? दरवाज़े बंद हैं या नहीं? चीज़ें अपनी जगह है या नहीं? दिल धड़क रहे हैं या नहीं? आँखें बंद है, या शून्य में तक रही है। और तक रही है तो क्या ठंडी दीवारों के पार देख पा रही है?
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  • Episode 13 - कमज़ोर मर्द की चिट्ठी
    Oct 27 2024
    एक बारह बाय दस का कमरा कितना बड़ा हो सकता है? ये अभी हाल ही में उसे पता लगा। इस कमरे में एक बार घुसने के बाद आदमी गुम हो सकता है। वो घंटों एक जगह बैठा रह सकता है और सैंकड़ों बार जगह भी बदल सकता है।
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    3 mins
  • Episode 12 - ज़िंदगी मौत व्यंग्य
    Oct 27 2024
    सारी उम्र जीने को कोसते रहे, किसी किस्मत नाम के कव्वे को बुलाते रहे-भगाते रहे। ऊंची पतंग भी उड़ाते रहे और कटने से भी घबराते रहे।
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    2 mins

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