• Shri Bhagavad Gita Chapter 18 | श्री भगवद गीता अध्याय 18 | श्लोक 37

  • Nov 23 2024
  • Length: 1 min
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Shri Bhagavad Gita Chapter 18 | श्री भगवद गीता अध्याय 18 | श्लोक 37

  • Summary

  • श्री भगवद गीता के अध्याय 18, श्लोक 37 में भगवान श्रीकृष्ण सात्त्विक सुख का वर्णन करते हैं। यह सुख प्रारंभ में कठिनाई भरा होता है, जैसे विष, लेकिन परिणामस्वरूप अमृत के समान मधुर होता है। यह सुख आत्मा और बुद्धि की प्रसन्नता से उत्पन्न होता है। इस श्लोक के माध्यम से जानें, सच्चे और स्थायी सुख की पहचान।

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