भारतीय संविधान की यात्रा: थीम 1- संविधान का ऐतिहासिक आधार और निर्माण Podcast Por  arte de portada

भारतीय संविधान की यात्रा: थीम 1- संविधान का ऐतिहासिक आधार और निर्माण

भारतीय संविधान की यात्रा: थीम 1- संविधान का ऐतिहासिक आधार और निर्माण

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SK सोढा इकबाल SK, INDIANIभारतीय संविधान की यात्रा: थीम 1- संविधान का ऐतिहासिक आधार और निर्माणभारत के संविधान को समझना, उसके ऐतिहासिक जड़ों को समझे बिना अधूरा है। यह केवल एक कानूनी दस्तावेज़ नहीं, बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम, सामाजिक-राजनीतिक आंदोलनों और विविध विषयों का परिचायक है।1.1 ऐतिहासिक पृष्ठभूमिभारतीय संविधान का जन्म एक दिन में नहीं हुआ था। इसकी नींव कई शताब्दियों के औपनिवेशिक शासन, संघर्ष और सुधारों में निहित है। ब्रिटिश शासन के दौरान पारित विभिन्न अधिनियमों ने धीरे-धीरे भारत में संवैधानिक और प्रशासनिक ढांचे को आकार दिया।1.1.1 कंपनी शासन (1773-1858) के दौरान संवैधानिक विकासयह वह अवधि थी जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी भारत पर शासन कर रही थी, और ब्रिटिश संसद ने कंपनी के मामलों को विनियमित करने के लिए कानून बनाना शुरू कर दिया था।* रेगुलेटिंग एक्ट, 1773 (Regulating Act, 1773):* धारा का काम: यह ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के कार्यों को नियंत्रित और विनियमित करने का पहला कदम था। इसका उद्देश्य कंपनी के कुप्रशासन को समाप्त करना था।* विस्तार से:* इसमें बंगाल के गवर्नर को 'बंगाल का गवर्नर-जनरल' बना दिया और उसकी सहायता के लिए एक चार सदस्यीय कार्यकारी परिषद का गठन किया। लॉर्ड वॉरेन हेस्टिंग्स बंगाल के पहले गवर्नर-जनरल बने।* इसमें बंबई (बॉम्बे) और मद्रास के गवर्नरों को बंगाल के गवर्नर-जनरल के अधीन कर दिया। इस प्रकार, इसमें भारत में केंद्रीकरण की नींव रखी।* इस अधिनियम ने 1774 में कलकत्ता में एक सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) की स्थापना का प्रावधान किया, जिसमें एक मुख्य न्यायाधीश और तीन अन्य न्यायाधीश शामिल थे।* इसमें कंपनी के सेवकों को निजी व्यापार करने या भारतीयों से उपहार और रिश्वत लेने पर प्रतिबंध लगा दिया।* इसमें ब्रिटिश सरकार को कंपनी के राजस्व, नागरिक और सैन्य मामलों पर नियंत्रण मजबूत करने में मदद की।* पिट्स इंडिया एक्ट, 1784 (Pitt's India Act, 1784):* धारा का काम: यह रेगुलेटिंग एक्ट की कमियों को दूर करने और कंपनी के प्रशासन पर ब्रिटिश सरकार के नियंत्रण को और मजबूत करने के लिए लाया गया था।* विस्तार से:* इसमें कंपनी के वाणिज्यिक और राजनीतिक कार्यों को अलग-अलग कर दिया।* वाणिज्यिक मामलों के लिए निदेशक मंडल (Court of Directors) की अनुमति दी गई।* ...
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